ड्रैगन (चीन) का सुनहरा समय!

अमेरिका बनाम रूस में क्या फर्क है? अमेरिका गरूड़-ईगल, हंस जैसे पक्षियों की आजाद उड़ान है वही रूस भालूओं की महाशक्ति है। चीन बनाम भारत में क्या फर्क है? तो चीन आग उगलते ड्रैगन का पर्याय है वही भारत हाथी, गाय, भेड-बकरियों का वह शाकाहारी जंगल है, जो नियति के सर्कस में गुंथा हुआ है! पूछ सकते हैं भला इस तरह से विचार कैसे? इसलिए कि इन चार देशों की वृत्ति-प्रवृत्ति, जैविक-शारीरिक-मानसिक प्रकृति से पृथ्वी के सभी आठ अरब लोगों (मानवता) का भविष्य है! इन चार देशों की जनसंख्या कुल विश्व आबादी का 43 प्रतिशत है। यदि इसके साथ जुनूनी विकार में जीने वाली इस्लामी सभ्यता की तासीर को भी साथ में ले तो सब मिलाकर पृथ्वी की तीन-चौथाई आबादी की पांच सभ्यताओं से भविष्य है।

मणिपुर मामले को स्पिन देना आसान नहीं

इन दिनों हर पार्टी को ऐसे स्पिन डॉक्टर्स की जरूरत होती है, जो किसी भी घटना को दूसरा टर्न दे सके। मूल घटना पर से ध्यान हटा कर उसके दूसरे पहलू पर ध्यान केंद्रित करा दे। अगर मीडिया साथ हो तो ऐसा करना आसान हो जाता है। भारतीय जनता पार्टी हर समय इस तरह के काम करती है। उसके स्पिन डॉक्टर्स हर घटना को एक नया रूप देते हैं और फिर मीडिया उसी रूप का प्रचार करता है। कई बार तो ऐसा लगता है कि खुद प्रधानमंत्री ही स्पिन डॉक्टर का काम करते हैं और कई बार पार्टी खुद यह काम करती दिखती है। मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाए जाने की वीभत्स घटना का वीडियो आने के बाद जो दो काम पार्टी की ओर से किए गए हैं उनसे इस बात को समझा जा सकता है।

नेतन्याहू से बरबादी की और इजराइल!

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जीत गए हैं। पर यह एक ऐसी जीत है जो उन्हें सत्ता के नज़दीक तो बनाए रखेगी लेकिन उन्हें बाकी सब से – जनता से, समर्थकों से, साथियों से – दूर कर देगी। चौबीस जुलाई को इजराइल की संसद नेसेट ने देश के सुप्रीम कोर्ट की ताकत को कम करने वाले कानूनों की सीरीज का पहला कानून पास किया। इस दौरान संसद के बाहर लोग विरोध प्रदर्शन करते रहे। संसद में विपक्षी सदस्य चिल्ला-चिल्लाकर अपशब्द बोलते रहे।फिर वोटिंग के समय वाकआउट किया। इस सबके बीच प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, जिनका दिल मशीन की मदद से धड़क रहा है, शांत बैठे रहे। उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी चीख-चीखकर अपनी बात कहते रहे मानो वे अपने बॉस की मौजूदगी से बेखबर हों।

पृथ्वी की गर्मी पर दो खलनायकों की गरमागरमी

क्लाइमेट चेंज से जुड़े मसलों में राष्ट्रपति बाइडन के खास कूटनीतिज्ञ जान कैरी इस समय भारत में हैं। भारत आने से ठीक पहले वे चीन में थे। चीनियों से उनकी चर्चा काफी हद तक असफल रही। सच तो यह है कि शी जिनपिंग और उनके मातहतों ने कैरी से दो टूक कह दिया चीनी अपने हिसाब से, अपनी स्पीड से कार्बन डाइऑक्साइड प्रदूषण से निज़ात पाने का काम करेंगे।जाहिर है चीनियों को बीजिंग में बढ़ते तापमान और हीट वेव की फ़िक्र नहीं है, भले जीना दूभर हो। धरती के हालात उनकी प्राथमिकता नहीं हैं। उनकी प्राथमिकता ताकत दिखाना है। दुनिया को यह मानने के लिए मजबूर करना है कि चीन एक बहुत बड़ा और एक बहुत ताकतवर देश है।वह अपने हिसाब से काम करेगा।

बाइडन की चीन से दो टूक

जो बाइडन ने साफ़ कर दिया है कि अमेरिका एक विश्व शक्ति है और रहेगा। और व्यवहार भी एक विश्व शक्ति जैसे करेगा। उन्होंने 28 जुलाई को घोषणा की कि जिस तरह अमेरिका अपने जखीरे से यूक्रेन को हथियार दे रहा है, उसी तरह ताईवान को भी देगा।चीन को यह भारी झटका है। स्वभाविक जो दुनिया में सनसनी है और चीन अपना आपा खो बैठा है। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने ताईवान को हथियार दिए जाने की घोषणा की आलोचना करते हुए उसे ‘दुर्भावनापूर्ण’ बताया। कहा कि इससे ताईवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा हो गया है। चीन ने चेताया कि इससे चीन और अमरीका के सैन्य संबंध में जोखिम और बढ़ जायेगा।

बर्लुस्कोनीः ट्रंप का इतावली पितामह!

इटली राष्ट्रीय शोक में है। दूसरे महायुद्ध बाद सर्वाधिक लंबे समय प्रधानमंत्री रहे बर्लुस्कोनी की मृत्यु के गम में। वे 86 वर्ष के थे। एक मायने में बर्लुस्कोनी पश्चिमी सभ्यता के पहले डोनाल्ड ट्रंप। ट्रंप और बारिस जानसन उनके मानों वारिस, छोटे संस्करण! इटली की मौजूदा प्रधानमंत्री उनकी मुरीद रही है। वे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जिससे आधे इतावली उन्हे श्रद्धा से देखाते है वही विरोधी नफरत करते हुए। उनकी लीडरशीप मजबूत और निर्णायक व्यक्तित्व वाली थी। वे अरबपति थे। पैसे की ताकत से राजनीति पर कब्जा बनाया। उनका सबसे बडा मीडिया हाऊस तो एक फुटबाल क्लब के मालिक भी। सत्ता और पैसे से बर्लुस्कोनीने जितनी रंगीनियों, जैसी बेधड़की, बेशर्मी से जिंदगी जी वैसी पश्चिम में शायद ही किसी दूसरे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति ने जी हो।

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