विश्व विश्वविद्यालय खेलों में भारत को चौथा स्वर्ण

अमन सैनी और प्रगति की कम्पाउंड मिश्रित तीरंदाजी टीम ने रविवार को चीन के चेंगदू में विश्व विश्वविद्यालय खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया जो भारत का इस प्रतियोगिता में चौथा सोने का पदक रहा। अमन और प्रगति ने रोमाचंक फाइनल में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वियों को 157-156 से हराया।

भारत आकर क्यों घिरे?

इल्जाम है कि पिछले हफ्ते हुई भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री दहल ने नेपाल को पूरी तरह भारत पर निर्भर बना दिया। जबकि इस यात्रा के दौरान नेपाल को ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ। नेपाल के विपक्षी दलों के साथ-साथ बुद्धिजीवियों और मीडिया का एक बड़ा हिस्सा भी प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को घेरने में जुट गया है। उनका इल्जाम है कि पिछले हफ्ते हुई भारत यात्रा के दौरान दहल ने नेपाल को पूरी तरह ‘भारत पर निर्भर’ बना दिया। इस यात्रा के दौरान नेपाल को ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ।

अकेले मुंह फुलाये जे़लेंस्की और…

एक तस्वीर और एक हज़ार शब्दों के बराबर! हां, एक कोने में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जे़लेंस्की मुंह फुलाये अकेले खड़े और और उनके चारों तरफ बाकी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एक दूसरे के साथ हंस बोल रहे हैं। क्या ऐसी तस्वीर उन मतभेदों और दरारों को नहीं दिखलाती जो विल्नुस में नाटो शिखर सम्मेलन के बाद उभरीं है।

ऐसा वक्त पृथ्वी के जीवन में पहले नहीं?

हम सभी एक नाव पर सवार हैं। यूरोप, अमरीका, भारत और चीन – सभी एक साथ बेइंतहा पसीना बहा रहे हैं। विडंबना है कि धरती के इतना ज्यादा गर्म होने के लिए बहुत हद तक हम खुद ही जिम्मेदार भी हैं।दुनिया को इस साल वसंत का अहसास ही नहीं हुआ!  अप्रैल में हमें लू के थपेड़े झेलने पड़े। अल्जीरिया, मोरक्को, पुर्तगाल और स्पेन में तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा है। इस बीच, समय से पहले आई बरसात ने भारत में आम के मौसम में खलल डाली। जहां दूसरी जगहों जुलाई गर्म है वही हमारे यहाँ गर्मी और उमस दोनों हैं जो कि एक जानलेवा  जुगलबंदी है।

तो बाइडन ने न्यौता नेतन्याहू को!

अमेरिका कुछ समय पहले तक इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से नाराज़ था। इसकी वजहें भी साफ थीं। जबसे नेतन्याहू सत्ता में आए हैं (उन्होंने आखिरी बार 2022 में चुनाव जीता था) तब से उनके देश में अराजकता का माहौल है – संवैधानिक और सामाजिक तौर पर और फिलिस्तीन मुद्दे सभीको लेकर।

रिश्ते के लिए अमेरिका फड़फड़ा रहा या चीन?

अमेरिका के मंत्री, कूटनीतिज्ञ एक के बाद एक लाइन लगाकर चीन जा रहे हैं। सबसे पहले विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन गए। उनके पीछे वित्त मंत्री जैनेट येलेन गई। फिर राष्ट्रपति बाईडन के जलवायु मामलों के विशेष दूत जान कैरी भी बीजिंग पहुंचे।

38 साल से तानाशाह को झेलता कंबोडिया!

एक वक्त था जब किस्से-कहानियों में कंबोडिया का जिक्र होता था। इस देश का बहुत गौरवशाली अतीत रहा है। महान खमेर साम्राज्य की शानो-शौकत,राजाओं के दिव्य और विशाल अंकोरवाट मंदिर के चर्चे थे।कोई 692 साल चले खमेर साम्राज्य की धन-संपदा अकूत थी। लेकिन वक्त सोने की लंका को भी मिट्टी में मिला देता है। सो खमेर साम्राज्य भी समय के साथ धूल में मिला।

स्पेनः चुनावी नतीजा त्रिशंकु, पर लोकतंत्र कायम! स्पेनः चुनावी नतीजा त्रिशंकु, पर लोकतंत्र कायम!

स्पेन में मध्यावधि चुनाव की घोषणा अचानक हुई। तभी यूरोप सकते में था।जानकारों को लगा कि स्पेन की राजनीति में कुछ अशुभ होने जा रहा है। ज्ञानी लोग भविष्यवाणी कर रहे थे कि चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिलेगा। कई पार्टियों का गठबंधन सत्ता में आएगा, जिसमें अति दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी पार्टी भी होगी।और यदि ऐसा हुआ तो सन् 1975 में फासिस्ट तानाशाह फ्रांसिस्को फ्रेंको की मौत के बाद पहली बार स्पेन में अति दक्षिणपंथी सत्ता होगी।

लापता चीनी विदेश मंत्री की छुट्टी!

चिन गांग चीन के विदेश मंत्री थे।‘थे’ इसलिए क्योंकि एक महीने पहले वे रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गए। इसके कुछ दिनों बाद उनके दिखलाई नहीं देने की अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियां बनी लगीं।किसी को पता नहीं कि उनका हुआ क्या? वैसे कोई भी यह नहीं जानता है कि चीन में होता क्या है? चलता क्या है? बावजूद इसके चिन गांग का लापता होना इसलिए दिलचस्प है क्योंकि वे चीन के राजनीतिक आकाश के तेजी से उभरते सितारे थे।लेकिन जितनी तेजी से उभरते उतनी ही जल्दी वे गायब भी हो गए।

भाजपा को अपनी चुनौतियां पता हैं

कोई भी चुनाव आसान नहीं होता है और भारतीय लोकतंत्र की यह खूबी रही है कि जिस पार्टी या नेता ने आसान मान कर चुनाव लड़ा उसे हार का सामना करना पड़ा। भारत में चुनावों की एक खासियत यह भी रही है कि जिस समय कोई पार्टी जीत के अति आत्मविश्वास में रही उसी समय मतदाताओं ने उसको सबसे बड़ा झटका दिया

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