प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व और उनकी राजनीति में कई चीजें एक्स्ट्रीम वाली हैं। जैसे कई बार लगता है कि वे बहुत बोलते हैं। उनकी पार्टी की ओर से कहा भी जाता है कि अब जाकर भारत को बोलने वाला प्रधानमंत्री मिला है। तो दूसरी ओर कई बार वे पूरी तरह से चुप हो जाते हैं। एकदम ही नहीं बोलते हैं। कायदे से दोनों के बीच की स्थिति होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। प्रधानमंत्री हर मंच से लंबे लंबे भाषण देते हैं। सरकारी कार्यक्रम हो, संसद का मंच हो या चुनावी सभा हो हर जगह उनको बोलना पसंद है। भारत में एक प्रधानमंत्री हुए थे पीवी नरसिंह राव, जिनको मौनी बाबा कहा जाता था। वे एकदम नहीं बोलते थे। उन्होंने चुप रह जाने को एक रणनीतिक हथियार बना लिया था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कई बार चुप रह जाना जवाब देने से बेहतर होता है।
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