अकेले मुंह फुलाये जे़लेंस्की और…

एक तस्वीर और एक हज़ार शब्दों के बराबर! हां, एक कोने में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जे़लेंस्की मुंह फुलाये अकेले खड़े और और उनके चारों तरफ बाकी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एक दूसरे के साथ हंस बोल रहे हैं। क्या ऐसी तस्वीर उन मतभेदों और दरारों को नहीं दिखलाती जो विल्नुस में नाटो शिखर सम्मेलन के बाद उभरीं है।

ऐसा वक्त पृथ्वी के जीवन में पहले नहीं?

हम सभी एक नाव पर सवार हैं। यूरोप, अमरीका, भारत और चीन – सभी एक साथ बेइंतहा पसीना बहा रहे हैं। विडंबना है कि धरती के इतना ज्यादा गर्म होने के लिए बहुत हद तक हम खुद ही जिम्मेदार भी हैं।दुनिया को इस साल वसंत का अहसास ही नहीं हुआ!  अप्रैल में हमें लू के थपेड़े झेलने पड़े। अल्जीरिया, मोरक्को, पुर्तगाल और स्पेन में तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा है। इस बीच, समय से पहले आई बरसात ने भारत में आम के मौसम में खलल डाली। जहां दूसरी जगहों जुलाई गर्म है वही हमारे यहाँ गर्मी और उमस दोनों हैं जो कि एक जानलेवा  जुगलबंदी है।

तो बाइडन ने न्यौता नेतन्याहू को!

अमेरिका कुछ समय पहले तक इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से नाराज़ था। इसकी वजहें भी साफ थीं। जबसे नेतन्याहू सत्ता में आए हैं (उन्होंने आखिरी बार 2022 में चुनाव जीता था) तब से उनके देश में अराजकता का माहौल है – संवैधानिक और सामाजिक तौर पर और फिलिस्तीन मुद्दे सभीको लेकर।

रिश्ते के लिए अमेरिका फड़फड़ा रहा या चीन?

अमेरिका के मंत्री, कूटनीतिज्ञ एक के बाद एक लाइन लगाकर चीन जा रहे हैं। सबसे पहले विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन गए। उनके पीछे वित्त मंत्री जैनेट येलेन गई। फिर राष्ट्रपति बाईडन के जलवायु मामलों के विशेष दूत जान कैरी भी बीजिंग पहुंचे।

38 साल से तानाशाह को झेलता कंबोडिया!

एक वक्त था जब किस्से-कहानियों में कंबोडिया का जिक्र होता था। इस देश का बहुत गौरवशाली अतीत रहा है। महान खमेर साम्राज्य की शानो-शौकत,राजाओं के दिव्य और विशाल अंकोरवाट मंदिर के चर्चे थे।कोई 692 साल चले खमेर साम्राज्य की धन-संपदा अकूत थी। लेकिन वक्त सोने की लंका को भी मिट्टी में मिला देता है। सो खमेर साम्राज्य भी समय के साथ धूल में मिला।

स्पेनः चुनावी नतीजा त्रिशंकु, पर लोकतंत्र कायम! स्पेनः चुनावी नतीजा त्रिशंकु, पर लोकतंत्र कायम!

स्पेन में मध्यावधि चुनाव की घोषणा अचानक हुई। तभी यूरोप सकते में था।जानकारों को लगा कि स्पेन की राजनीति में कुछ अशुभ होने जा रहा है। ज्ञानी लोग भविष्यवाणी कर रहे थे कि चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिलेगा। कई पार्टियों का गठबंधन सत्ता में आएगा, जिसमें अति दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी पार्टी भी होगी।और यदि ऐसा हुआ तो सन् 1975 में फासिस्ट तानाशाह फ्रांसिस्को फ्रेंको की मौत के बाद पहली बार स्पेन में अति दक्षिणपंथी सत्ता होगी।

लापता चीनी विदेश मंत्री की छुट्टी!

चिन गांग चीन के विदेश मंत्री थे।‘थे’ इसलिए क्योंकि एक महीने पहले वे रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गए। इसके कुछ दिनों बाद उनके दिखलाई नहीं देने की अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियां बनी लगीं।किसी को पता नहीं कि उनका हुआ क्या? वैसे कोई भी यह नहीं जानता है कि चीन में होता क्या है? चलता क्या है? बावजूद इसके चिन गांग का लापता होना इसलिए दिलचस्प है क्योंकि वे चीन के राजनीतिक आकाश के तेजी से उभरते सितारे थे।लेकिन जितनी तेजी से उभरते उतनी ही जल्दी वे गायब भी हो गए।

नेतन्याहू से बरबादी की और इजराइल!

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जीत गए हैं। पर यह एक ऐसी जीत है जो उन्हें सत्ता के नज़दीक तो बनाए रखेगी लेकिन उन्हें बाकी सब से – जनता से, समर्थकों से, साथियों से – दूर कर देगी। चौबीस जुलाई को इजराइल की संसद नेसेट ने देश के सुप्रीम कोर्ट की ताकत को कम करने वाले कानूनों की सीरीज का पहला कानून पास किया। इस दौरान संसद के बाहर लोग विरोध प्रदर्शन करते रहे। संसद में विपक्षी सदस्य चिल्ला-चिल्लाकर अपशब्द बोलते रहे।फिर वोटिंग के समय वाकआउट किया। इस सबके बीच प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, जिनका दिल मशीन की मदद से धड़क रहा है, शांत बैठे रहे। उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी चीख-चीखकर अपनी बात कहते रहे मानो वे अपने बॉस की मौजूदगी से बेखबर हों।

पृथ्वी की गर्मी पर दो खलनायकों की गरमागरमी

क्लाइमेट चेंज से जुड़े मसलों में राष्ट्रपति बाइडन के खास कूटनीतिज्ञ जान कैरी इस समय भारत में हैं। भारत आने से ठीक पहले वे चीन में थे। चीनियों से उनकी चर्चा काफी हद तक असफल रही। सच तो यह है कि शी जिनपिंग और उनके मातहतों ने कैरी से दो टूक कह दिया चीनी अपने हिसाब से, अपनी स्पीड से कार्बन डाइऑक्साइड प्रदूषण से निज़ात पाने का काम करेंगे।जाहिर है चीनियों को बीजिंग में बढ़ते तापमान और हीट वेव की फ़िक्र नहीं है, भले जीना दूभर हो। धरती के हालात उनकी प्राथमिकता नहीं हैं। उनकी प्राथमिकता ताकत दिखाना है। दुनिया को यह मानने के लिए मजबूर करना है कि चीन एक बहुत बड़ा और एक बहुत ताकतवर देश है।वह अपने हिसाब से काम करेगा।

बाइडन की चीन से दो टूक

जो बाइडन ने साफ़ कर दिया है कि अमेरिका एक विश्व शक्ति है और रहेगा। और व्यवहार भी एक विश्व शक्ति जैसे करेगा। उन्होंने 28 जुलाई को घोषणा की कि जिस तरह अमेरिका अपने जखीरे से यूक्रेन को हथियार दे रहा है, उसी तरह ताईवान को भी देगा।चीन को यह भारी झटका है। स्वभाविक जो दुनिया में सनसनी है और चीन अपना आपा खो बैठा है। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने ताईवान को हथियार दिए जाने की घोषणा की आलोचना करते हुए उसे ‘दुर्भावनापूर्ण’ बताया। कहा कि इससे ताईवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा हो गया है। चीन ने चेताया कि इससे चीन और अमरीका के सैन्य संबंध में जोखिम और बढ़ जायेगा।

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