‘इंडिया’ का प्रचार कर रहे प्रधानमंत्री

विपक्षी गठबंधन ने 18 जुलाई की बेंगलुरू में हुई बैठक में तय किया था उसका नाम इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस यानी ‘इंडिया’ होगा। उसके बाद दो हफ्ते से भी कम समय में यह नाम लोगों की जुबान पर चढ़ गया है और इसका श्रेय जाता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के नेताओं को। प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी गठबंधन को लेकर पिछले 10-12 दिन में इतने बयान दिए हैं, जितने खुद गठबंधन के नेताओं ने नहीं दिए।

अंबेडकर की राजनीति और चंद्रशेखर

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की राजनीति का एकाधिकार कुछ मामलों में बहुजन समाज पार्टी के पास था। कांशीराम वह नेता था, जिन्होंने अंबेडकर को भारत की राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया। महात्मा गांधी निःसंदेह भारत में सबसे ज्यादा सम्मानित और पूजनीय हैं लेकिन उनके नाम पर वोट नहीं मिलता है

अधीर रंजन को क्या बदलेंगी सोनिया?

कांग्रेस पार्टी ने उदयपुर के नवसंकल्प शिविर में तय किया था कि एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत पर पूरी गंभीरता से अमल किया जाएगा। लेकिन संकल्प शिविर के तुरंत बाद भाजपा ने इस सिद्धांत के अपवाद बनाने शुरू कर दिए। अब स्थिति यह है कि पार्टी के दोनों संसदीय नेता इसका अपवाद हैं। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उधर लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष हैं। नव संकल्प शिविर के एक साल होने जा रहे हैं और उनको बदलने की कोई चर्चा नहीं हो रही है।

सरकार में मुस्लिम नहीं पर संगठन में दो

केंद्र सरकार में देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय का कोई प्रतिनिधि नहीं है। एक साल पहले तक मुख्तार अब्बास नकवी और उससे कुछ समय पहले तक एमजे अकबर केंद्र सरकार में मंत्री होते थे। लेकिन जैसे जैसे 2024 का चुनाव नजदीक आता गया वैसे वैसे मुस्लिम नेताओं की छुट्टी होती गई। अब स्थिति यह है कि केंद्र सरकार में कोई मुस्लिम मंत्री नहीं है। इतना ही नहीं संसद के दोनों सदनों में भी भाजपा का एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है। सोचें, दोनों सदनों को मिला कर भाजपा के कुल सांसदों की संख्या 393 है लेकिन उनमें एक भी मुस्लिम नहीं है। पिछले चुनाव में भाजपा ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट भी नहीं दिया था।

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